नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों के सूचना आयोगों से वादियों को सुनवाई के लिए हाइब्रिड विकल्प मुहैया कराने को लेकर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने देश के सभी राज्यों के सूचना आयोगों को निर्देश दिया है कि वह वादियों के लिए शिकायतों की ई-फाइलिंग और सुनवाई की सुविधा दें। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि सभी राज्यों के सूचना आयोग को सुनवाई के हाइब्रिड विकल्प के बारे में जानकारी देनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि सभी राज्यों के सूचना आयोग को हाइब्रिड सुनवाई का विकल्प देना चाहिए। कोर्ट ने माना कि तकनीक की मदद से न्याय पाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। कोर्ट ने कहा कि सूचना आयोगों को निर्देश दिया गया है कि सभी वादियों को चरणबद्ध तरीके से ई-फाइलिंग की सुविधा देनी सुनिश्चित करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस याचिका में राज्य सूचना आयोगों के बेहतर कामकाज के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई कि वादियों को फिजिकल के साथ ही वर्चुअल तरीके से भी सुनवाई का विकल्प देने की मांग की गई है।
हाईकोर्ट ने अदालतों में लंबित मामलों को लेकर सरकार पर कसा तंज
बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति पर तंज कसा और कहा कि क्या उन्हें अदालतों में लंबित मामलों की भी जानकारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ही सबसे बड़ी वादी है और वह सबसे ज्यादा सुनवाई टालने की मांग करती है। कोर्ट ने ये भी कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हर मामले की सुनवाई में नहीं आ सकते लेकिन उनके कार्यालय से संबंधित कोई वकील उनके कार्यालय की कर्तव्यों को निर्वहन कर सकता है। कोर्ट ने याचिकाओं के बार-बार स्थगन पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल खाटा की खंडपीठ ने रामकली गुप्ता की संपत्ति से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पांच अक्तूबर को यह बात कही। जिस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की, वह 2016 में दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि हमें पता है कि केंद्र सरकार अक्सर अदालतों में लंबित मामलों को लेकर टिप्पणी करती है लेकिन अदालत यह जानकर हैरान है कि रामकली गुप्ता की याचिका बीते सात सालों से लंबित है और इस साल जून से याचिका इस वजह से लंबित चल रही है क्योंकि एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में पेश ही नहीं हो पा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि केंद्र सरकार अदालतों में लंबित मामलों, लगातार सुनवाई स्थगित को लेकर टिप्पणी करती रहती है। सरकार इसे क्या कहती है ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’।