गांधीनगर
स्वराज्य की संस्थाओं जैसे कि महानगरपालिका, नगरपालिका के उपरांत जीआईडीसी उद्योगों को मिलाकर कुल 22,591 करोड़ का पिछले तीन वर्ष से भरना पानी कर बाकी है। गुजरात में पानी का उपयोग करती स्थानीय स्वराज्य की संस्थाएं पानी कर भरना समझती नहीं ऐसा सुर जलापूर्ति विभाग द्वारा व्यक्त किया जा रहा है। ऐसे कर की रकम एक वर्ष से लेकर तीन वर्ष का बाकी है जिसमें अहमदाबाद, जूनागढ़ मनपा के उपरांत नगरपालिकाओं तथा औद्योगिक गृहों का समावेश है। नगरपालिकाओं एवं महानगरपालिकाओं की तिजोरी खाली दिखाई दे रही हैं जिसका मुख्य कारण उनकी आय के सï्रोत सीमित होने के साथ वेतन, सफाई, जलापूर्ति, अधिकतर की रकम बिजली बिल के पीछे खर्च हो जाती है जिसके कारण नगरपालिकाएं पानी कर भर नहीं सकतीं। ऐसी नगरपालिकाओं की सूची में डभोई, अंकलेश्वर, कालावड, व्यारा, पारडी, वापी जामजोधपुर, लींबडी, बोटाद, तलाजा, धोराजी, जेतपुर, सिहोर, राजुला, अमरेली, थानगढ़, वेरावल, नडियाद, महुधा, सूत्रापाडा, बालासिनोर, कोडीनार नगरपालिकाओं ने अभी पानी कर नहीं भरा। इसके उपरांत अहमदाबाद एवं जूनागढ़ मनपा का भी पानी कर बाकी है। गुजरात के सबसे अधिक औद्योगिक गृह ऐसे हैं जिनका पानी कर लाखों रुपए में होता है- पनोली, अंकलेश्वर, सावली, वडोदरा, वापी, उमरगाम जीआईडीसी ने भी पानी कर नहीं भरा। जलापूर्ति विभाग के मतानुसार गुजरात में स्थित 229 उद्योगों एवं जीआईडीसी, महानगरपालिका, नगरपालिका का पानी कर बाकी है जिसकी रकम 22,591 करोड़ रुपए होती है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक वर्ष से अधिक समय से बाकी पानी कर हो तो उसकी रकम 8,13,889 लाख है। जबकि दो वर्ष से अधिक समय से कर बाकी हो ऐसी रकम 7,35,449 लाख है तथा तीन वर्ष से अधिक समय से पानी कर बाकी हो ऐसी रकम 7,09,818 लाख रुपए है। इन सभी केस में विभाग ने नोटिस देकर संतोष माना है, किसी के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। जिसका मुख्य कारण सरकार की स्थानीय निकायों में आय का सï्रोत कम एवं खर्च अधिक है। पानी मूलभूत की जरूरत है, वह मुहैया कराने में सरकार किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ती परन्तु इसके सामने स्थानीय निकायों के पास पानी कर की करोड़ों की रकम आज भी बाकी है।