इंफाल। मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य के आदिवासी संगठनों को 27 मार्च के विवादास्पद आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दे दी है। इस आदेश के तहत राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के संबंध में सिफारिश भेजनी थी। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अगुवाई वाली सरकार को एसटी दर्जा देने के संबंध में सिफारिश भेजने का निर्देश दिया था। बता दें कि अपील के आदेश से पहले एकल न्यायाधीश की पीठ ने मैतेई जनजाति संघ के सदस्यों की याचिका पर विवादास्पद आदेश पारित किया था। अदालत से मांग की गई थी कि मैतेई समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने के लिए सीएम बीरेन सिंह की सरकार को जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए।तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन ने 27 मार्च को आदेश पारित किया था। इस आदेश के बाद कुकी ज़ो समुदाय के निकायों ने व्यापक आपत्ति जताई। इसके बाद 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयूएम) ने एक रैली आयोजित की। इस दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग में हिंसा हुई और यह जातीय हिंसा का कारण बन गया। खबरों के अनुसार, जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 180 लोगों की जान जा चुकी है।अदालत ने कहा, मुकदमे में शामिल पक्षों की दलीलों की प्रकृति को मद्देनजर रखते हुए अपील की अनुमति दी जाती है। gujaratvaibhav.com
हाईकोर्ट के अनुसार, संबंधित रिट अपील और रिट याचिका में उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर जांच और निर्णय लेने की जरूरत है। आवेदकों की तरफ से की गई शिकायतों पर विचार किया जाना चाहिए। आवेदकों की तरफ से मांगा गया समय देने में अदालत को कोई ऐतराज नहीं है।”आदिवासी निकायों की ओर से पेश वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने अदालत से कहा, “अगर मैतेई समुदाय को गलत तरीके से एसटी का दर्जा दिया गया है, तो इससे रोजगार और शिक्षा में मौजूदा आदिवासी एसटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यहां एसटी को आरक्षण मिलता है और मैतेई समुदाय प्रमुख है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से उन्नत एसटी आरक्षित सीटों में से अधिकांश पर कब्जा कर लेंगे।प्रतिवादियों की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एम हेमचंद्र ने बताया, “मैतेई समुदाय का रिकॉर्ड मैतेई जनजाति के रूप में होने के बावजूद” उन्हें “भारत के संविधान के तहत एसटी सूची तैयार करते समय शामिल नहीं किया गया था।” उन्होंने कहा, मैतेई जनजातियों को पिछले कई वर्षों से संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन एसटी सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार करने में विफल रहे।”