सुप्रीम कोर्ट तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बनेगी: चंद्रचूड़
नई दिल्ली(वी.एन.झा)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महिला आरक्षण कानून को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अमल करने की मांग वाली याचिका को लंबित याचिका के साथ जोड़ने का फैसला लिया है। अदालत का कहना है कि महिला आरक्षण कानून के उस हिस्से को रद्द करना ‘बहुत मुश्किल’ होगा, जिसमें कहा गया है कि इसे जनगणना के बाद लागू किया जाएगा। गौरतलब है, महिला आरक्षण कानून को आगामी लोकसभा चुनाव से पहले अमल करने की अर्जी कांग्रेसी नेता जया ठाकुर की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि बहु प्रतिक्षित महिला आरक्षण विधेयक संसद से पास हो चुका है। यह अब कानून बन गया है, लेकिन कहा गया है कि यह परिसीमन के बाद लागू होगा। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि इस मामले में निर्देश दिया जाए कि इस पर अमल लोकसभा चुनाव से पहले हो।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका लंबित है। उस लंबित याचिका के साथ ही जया ठाकुर की याचिका पर 22 नवंबर को सुनवाई करेगी वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताई। CJI ने वकीलों से कहा कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालत बन जाए।उन्होंने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो यह अदालत की अच्छी छवि नहीं दिखाता।साथ ही CJI ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें।दरअसल, CJI चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की।