- डीआरआई ने 18 लाख की नकदी भी बरामद की
वलसाड । साल की शुरुआत में गुजरात के तटीय इलाकों से बड़ी मात्रा में ड्रग्स जब्त किए गए थे। अब पिछले कई सालों से दवाओं में हेराफेरी समेत केमिकल की आड़ में मेफेड्रोन बनाने के मामले सामने आ रहे हैं. गुजरात में एक बार फिर नशे का कारोबार पकड़ा गया है। डीआरआई ने विशेष जानकारी के आधार पर आज वापी जीआईडीसी में विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। जिसमें प्राइम पॉलिमर इंडस्ट्रीज फैक्ट्री से 180 करोड़ रुपये की मेफेड्रोन ड्रग्स जब्त की गई है। इसके अलावा डीआरआई ने कंपनी के मालिक के घर और दफ्तर पर भी छापेमारी की। जिसमें एक आरोपी के घर से 18 लाख रुपये की नकदी भी बरामद की गई है। डीआरआई से मिली जानकारी के मुताबिक, डीआरआई मुंबई, अहमदाबाद, सूरत और वापी की टीमों ने आज वापी जीआईडीसी के विभिन्न स्थानों पर नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत तलाशी अभियान चलाया। जहां अवैध उत्पादन से जुड़ी मेसर्स प्राइम पॉलिमर इंडस्ट्रीज के नाम से स्थापित फैक्ट्री मिली। सूरत और वलसाड की फॉरेंसिक साइंस लैब की एक टीम ने फैक्ट्री में मिले संदिग्ध नशीले पदार्थों में मैकड्रोन की मौजूदगी की पुष्टि की है. फैक्ट्री से तरल रूप में कुल 121.75 किलोग्राम मेफेड्रोन बरामद किया गया। इसके अलावा, एक आरोपी के आवासीय परिसर की तलाशी के दौरान लगभग 18 लाख रुपये की भारतीय मुद्रा मिली। इन नारकोटिक्स दवाओं और साइकोट्रोपिक पदार्थों का अवैध बाजार मूल्य रु. 180 करोड़ से भी ज्यादा मानी जाती है. नकदी के साथ पाए गए सभी पदार्थों को एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत जब्त कर लिया गया है। इसके अलावा तीन आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है। दो हफ्ते पहले, डीआरआई ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में एक रासायनिक इकाई में मेफेड्रोन के उत्पादन में शामिल एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था। ऑपरेशन में 400 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के नशीले पदार्थ जब्त किए गए और मेफेड्रोन के गुप्त निर्माण में शामिल 2 ऐसी प्रयोगशालाओं का पता चला। इस तरह डीआरआई ने पिछले 15 दिनों में ऐसी तीन छापेमारी की है और करोड़ों रुपये की ड्रग्स जब्त की है।