नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा के बाद राज्य में शांति स्थापित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार कई कोशिशें कर रही थी. बुधवार को इस दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है. मणिपुर के सबसे पुराने विद्रोही समूह ने स्थायी शांति समझौते के लिए अपनी मंजूरी दे दी है. सरकार कई दिनों से इस समूह से बात कर रही थी. यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने बुधवार को स्थायी शांति समझौते पर साइन कर दिए हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी. गृह मंत्री ने X पर लिखा, “एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है. यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर साइन किए हैं.” शाह ने आगे लिखा, “मणिपुर के घाटी स्थित सबसे पुराने आर्म्ड ग्रुप यूएनएलएफ हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं. शांति और प्रगति के रास्ते पर उनकी यात्रा के लिए मैं शुभकामनाएं देता हूं.” एक और पोस्ट में गृह मंत्री ने कहा, ”भारत सरकार और मणिपुर सरकार की ओर से यूएनएलएफ के साथ आज हस्ताक्षरित शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.” बता दें कि गृह मंत्रालय ने कई अन्य चरमपंथी संगठनों के साथ यूएनएलएफ पर प्रतिबंध लगाया हुआ था. प्रतिबंध लगाए जाने के कुछ दिनों बाद यह शांति समझौता हुआ. यह निर्णय तब लिया गया जब केंद्र को लगा कि ये संगठन मणिपुर में सुरक्षा बलों, पुलिस और नागरिकों पर हमलों और हत्याओं के साथ-साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल है. यूएनएलएफ मणिपुर में सबसे पुराना मैतेई विद्रोही समूह है, जिसकी स्थापना 24 नवंबर, 1964 में की गई थी। gujaratvaibhav.com