- स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती
- अपने दौर में स्वामी दयानंद ने महिला अधिकार की बात की, हमने महिलाओं को आरक्षण दिया
- स्वामी दयानंद का मेरे जीवन में उनका एक अलग प्रभाव है, अंग्रेजी राज को सही ठहराने वालों को उन्होंने बेनकाब किया
- केंद्र तथा गुजरात सरकार गौ संवर्धन और कृषि क्षेत्र में अनेक कदम उठाकर महर्षि दयानंद जी की गौ सेवा परिकल्पना को साकार कर रही है: राज्यपाल
- आजादी की लड़ाई में श्यामजी कृष्ण वर्मा से लेकर भगतसिंह तक के सपूतों के लिए प्रेरकबल स्वामी दयानंद सरस्वती जी बने: पुरुषोत्तम रुपाला
मोरबी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि “देश आज स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयंती मना रहा है। आज मेरे लिए टंकारा पहुंचना सम्भव नहीं था परंतु मैं मन और हृदय से आपके बीच ही हूं। आज स्वामी जी के योगदान को याद करने के लिए आर्य समाज यह महोत्सव मना रहा है, इस बात का आनंद है। यह आयोजन नयी पीढ़ी के लिए दयानंदजी के जीवन से परीचित होने का माध्यम बनेगा।“ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दयानंदजी की जन्मभूमि गुजरात और उनकी कर्मभूमि हरियाणा में भी लम्बे समय तक उनको कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, जो उनके लिए सौभाग्य की बात है। विश्व विभूति महर्षि दयानद सरस्वती जी की 200वीं जन्म जयंती के अवसर पर टंकारा में भव्यातिभव्य जन्मोत्सव-स्मरणोत्सव का आयोजन किया गया है। आज इस महोत्सव के दूसरे दिन आर्य समाज के संस्थापक और महापुरुष दयानंद सरस्वती जी को स्मरणांजलि अर्पण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्य समाज के अनुयायियों को वर्च्युअल माध्यम से सम्बोधित किया। यहां गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी और केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला की प्रेरक उपस्थिति में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन में दयानंद जी के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि इतिहास में ऐसा दिन, पल या क्षण होता है जो भविष्य की दिशा बदल सकता है। स्वामी दयानंद जी का जन्म भी ऐसा ही अभूतपूर्व क्षण था। समाज का एक वर्ग जब संस्कृति और आध्यात्मिकता से दूर जा रहा था तब दयानंद जी ने ‘वेदों की ओर लौटो’ का मंत्र देकर रूढ़ियों पर प्रहार किये थे। इसके कारण आज लोग वैदिक धर्म को जानने लगे हैं और अनुसरण कर रहे हैं। अंग्रेजी हुकुमत जब भारतीय संस्कृति को हीन बताने का प्रयास कर रही थी तब, लाला लाजपत राय, रामप्रसाद बिस्मिल, श्रद्धानंदजी जैसे क्रांतिकारियों की एक श्रंखला दयानंद जी के विचारों से प्रभावित होकर राष्ट्रसेवा के लिए तैयार हो रही थी। महर्षि दयानंद सरस्वती जी सिर्फ वैदिक ऋषि ही नहीं थे बल्कि राष्ट्रचेतना के ऋषि भी थे। भारत आज अमृतकाल के आरम्भ के वर्ष में है तब, उज्जवल भविष्य का सपना संजोने वाले दयानंद जी के सपनों का भारत इसी अमृतकाल में ब
ने, यह विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया। उन्होंने कहा कि आज देश-दुनिया में आर्य समाज के हजारों स्कूल, कॉलेज, युनिवर्सिटी और 400 से ज्यादा गुरुकुलों में बड़ी तादाद में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। आर्य समाज 21वीं सदी में नयी ऊर्जा के साथ राष्ट्रनिर्माण की जिम्मेदारी उठाए, यही दयानंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आर्य समाज के विद्यालय और केंद्र समाज को जोड़कर लोकल फॉर वॉकल, आत्मनिर्भर भारत, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वच्छ भारत अभियान, मिशन लाइफ, मिलेट्स अन्न प्रोत्साहन और योग आदि में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना का 150वां वर्ष आरम्भ हो चुका है। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए प्रत्येक युवा प्राकृतिक खेती की जानकारी हासिल करे, यह बहुत जरूरी है। राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी भी इस दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामीजी की जन्मभूमि टंकारा से देश के किसान प्राकृतिक खेती का संदेश लें। देश की बेटियां आगे बढ़ें, इसके लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम पारित कर लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण प्रदान करने का कार्य किया गया है। प्रधानमंत्री ने ‘मेरा युवा भारत’ में आर्य समाज के विद्यार्थियों से शामिल होने का अनुरोध किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने इस अवसर पर अपने प्रेरक विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी का देश की समृद्धि और उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने वर्ष 1875 में मुम्बई में आर्य समाज की स्थापना की थी और वर्ष 1879 में हरियाणा के रेवाडी में देश की प्रथम गौशाला का निर्माण किया था। मुगलों और अंग्रेजों द्वारा आर्थिक तौर पर खोखली बना दी गई भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत बनाने के लिए महर्षि ने कृषि और गौ संवर्धन पर विशेष बल देकर प्रयास किए थे। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने 10 लाख लोगों को गौ हत्या नहीं करने की शपथ दिलवायी थी और उनके हस्ताक्षर महारानी विक्टोरिया को इंग्लैंड भेजे थे। इतना ही नहीं, उन्होंने किसानों को राजाओं का राजा कहा था। आज केंद्र और गुजरात सरकार भी गौ संवर्धन एवं कृषि क्षेत्र में अनेक कदम उठाकर महर्षि दयानंद सरस्वती जी की गौ सेवा परिकल्पना को साकार कर रही है। राज्यपाल ने कहा कि सरकार द्वारा आगामी पांच वर्ष में स्वास्थ्य, पर्यावरण, जल और धरती को बचाने के लिए प्राकृतिक कृषि अभियान चलाया जाएगा और साथ ही, वैज्ञानिक पद्धति से अनेक आधुनिक प्रयोगों के साथ गाय की प्रजाति के विकास और विस्तार पर भी कार्य करेगी। केंद्रीय मत्स्य उद्योग, पशुपालन एवं डेयरी उद्योग मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने विश्व के 17 से ज्यादा देशों और समग्र गुजरात एवं भारत से पधारे आर्य समाज के अनुयायियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी, गांधीजी, सरदार वल्लभ पटेल और नरेंद्र मोदीजी की धरा गुजरात में अंत:करणपूर्वक आपका स्वागत है। हमारे देश पर हजारों वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों ने शासन किया और भारत को नुकसान पहुंचाने में कोई कमी नहीं रखी। इसके बावजूद हमारी संस्कृति टिकी रही, इसके पीछे महर्षि दयानंद सरस्वती जैसी विभूतियों का ही योगदान है। रुपाला ने कहा कि दयानंद सरस्वती जी का मूल मंत्र था भारत और भारत का प्रत्येक नागरिक बलवान बने। इसके लिए उन्होंने निर्व्यसनी और मजबूत समाज रचना के लिए अथक प्रयास किए। हमारी संस्कृति और वेदों को अर्वाचीन समय में पुन: स्थापित करने का भगीरथी कार्य किया। उन्होंने कहा कि गुजरात के रोजड स्थित आश्रम में जाने का उन्हें सौभाग्य मिला है। रोजड आश्रम के अनुयायियों ने वेदों का गुजराती भाषा में अनुवाद किया, जिस पर एक गुजराती होने के कारण उन्हें गर्व है। उस समय गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उसका विमोचन किया गया था। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी की प्रेरणा से श्यामजी कृष्ण वर्मा से लेकर भगतसिंह तक के योद्धा तैयार हुए और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। टंकारा की इस इसी तीर्थभूमि पर महर्षि दयानंद सरस्वती जी का ज्योति तीर्थ आकार लेने जा रहा है। उनके विचार प्रस्थापित कर, सुने और देखे जा सके, इसके लिए आधुनिक साधनों की सुविधा यहां विकसित की जाएगी। गुजरात में देश का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल यहां आकार लेगा, जो गुजरातियों के लिए गौरव का विषय है।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने महर्षि दयानंद सरस्वतीजी की जन्मस्थली का दौरा किया
राज्यपाल आचार्य देवव्रत को टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जन्मस्थली पर आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। राज्यपाल ने उस कक्ष का दौरा किया जहां महर्षि दयानंद जी का जन्म हुआ था और उन्हें नमन किया। संपूर्ण परिसर एवं दयानंदजी स्मारक का भ्रमण एवं निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर दर्शनादेवी , डीएवी कॉलेज की प्रशासक पूनम सूरी, अजय सहगल आदि उपस्थित थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज समारोह में होंगी शामिल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मस्थान टंकारा में उनकी 200वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 12 फरवरी को आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मस्थान गुजरात के मोरबी जिले के टंकारा में उनकी 200वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगी। आयोजकों ने यह जानकारी दी। आयोजन समिति ने कहा कि मुर्मू 12 फरवरी को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगी । उत्सव के लिए दुनिया भर से बड़ी संख्या में जुटने वाले आर्य समाज के सदस्यों को संबोधित करेंगी।
हमें मिलकर वेदों की गुनगुनाहट को दुनिया तक पहुंचाना हैः बाबा रामदेव
मानवता के अग्रदूत और करुणा के भंडार महर्षि दयानंद सरस्वतीजी की 200वीं जयंती टंकारा में भव्य तरीके से मनाई जा रही है, योग गुरु बाबा रामदेवजी, कथावाचक रमेश सहित संतों की प्रेरक उपस्थिति में महर्षि दयानंद सरस्वतीजी का आभार व्यक्त किया गया। ओझा, संत चिदानन्दजी, आचार्य बालकृष्णजी का अनावरण कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर योगगुरु बाबा रामदेव ने महर्षि दयानंद सरस्वतीजी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम महर्षि दयानंद सरस्वतीजी के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए 108 गुरुकुल बनाने जा रहे हैं। महर्षिजी ने शिक्षा-दीक्षा और संस्कार का जो सपना देखा था, उसे साकार करने के लिए हम संकल्पित हों। सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति में वैदिक शिक्षा को भी शामिल किया गया है। महर्षि जी ने वैदिक ज्ञान के प्रकाश से जिस सामाजिक व्यवस्था एवं मानव विकास का सपना देखा था, उसे हम साकार करेंगे। हमें मिलकर वेदों की गुनगुनाहट को दुनिया तक पहुंचाना है।