- गुजरात के 7.75 लाख किसानों ने अपनाई प्राकृतिक कृषि:राज्यपाल
- आनेवाली पीढ़ी को स्वस्थ और सशक्त बनाने के लिए प्राकृतिक खेती को व्यापक बनाना अनिवार्य:सीएम
वलसाड में 77वें स्वतंत्रता पर्व के राज्य स्तरीय भव्य समारोह के अंतर्गत कपराडा तहसील के अंभेटी आश्रम में मुख्यमंत्री भुपेन्द पटेल की प्रेरक उपस्थिति में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में राज्यपालश्री आचार्य देवव्रत ने धरतीमाता का संवर्धन गोबरधन से करने का आह्वान किया। राज्यपालश्री ने कहा कि ग्राम एवं कृषि संस्कृति के संवर्धन से ही भारत वैश्विक ताकत बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती सही अर्थों में धरतीमाता की सेवा सह आराधना है। मनुष्य के लिए उत्तम स्वास्थ्य आवश्यक है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए उत्तम आहार भी आवश्यक है। प्राकृतिक कृषि उत्पाद मानव को निरोगी रखते हैं, इसलिए प्राकृतिक खेती फायदे की खेती साबित हो रही है। गुजरात के किसानों में प्राकृतिक खेती के प्रति आई जागृति की जानकारी देते हुए राज्यपाल ने कहा कि गुजरात के 7.75 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है। आत्मा विभाग और मास्टर ट्रेनरों द्वारा प्रति माह राज्य के 3.50 लाख से 4 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की तालीम दी जा रही है। राज्य सरकार के लगातार प्रयासों से राज्य की 6,775 ग्राम पंचायतों में 75 से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। साथ ही, ऐसी पंचायतों का प्रमाण लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की सराहना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भुपेन्द पटेल ने कहा कि विज़नरी लीडर प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने बेक टु बेज़िक मंत्र के साथ जीरो बजट की प्राकृतिक खेती को देशभर में गति दी है। राज्य में ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती के प्रति जागृत बने, इसके लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य देवव्रत ने स्वयं प्राकृतिक खेती करके उसके अद्भुत परिणामों को सामान्य किसानों तक पहुंचाया है। राज्य सरकार के सहयोग और राज्यपालश्री के उम्दा प्रयासों से प्राकृतिक खेती का अभियान जनआन्दोलन के रूप में गांव- गांव में पहुंचा है।