नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट की जेल सुधार समिति ने आत्महत्या प्रतिरोधी बैरक बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए शीर्ष अदालत को बताया कि 2017 और 2021 के बीच देशभर की जेलों में हुई 817 अप्राकृतिक मौतों का एक प्रमुख कारण आत्महत्या है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अमिताव राय की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि 817 अप्राकृतिक मौतों में से 660 आत्महत्याएं थीं और इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 101 आत्महत्याएं दर्ज की गईं। समिति ने शीर्ष अदालत में प्रस्तुत रिपोर्ट के अंतिम सारांश में कहा है, जेल के बुनियादी ढांचे के मौजूदा डिजाइन के भीतर संभावित हैंगिंग और एंकरिंग पॉइंट की पहचान करने और आत्महत्या प्रतिरोधी सेल या बैरक के निर्माण करने की आवश्यकता है। 27 दिसंबर, 2022 की रिपोर्ट के अंतिम सारांश में नौ अध्याय हैं, जिनमें जेलों में अप्राकृतिक मौतें, मौत की सजा पाए दोषियों और भारतीय जेलों में हिंसा शामिल हैं। सितंबर, 2018 में शीर्ष अदालत ने जेल सुधारों से जुड़े मुद्दों को देखने और जेलों में भीड़भाड़ सहित कई पहलुओं पर सिफारिशें करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। “जेलों में अप्राकृतिक मौतें” शीर्षक वाले खंड में समिति ने कहा है कि हिरासत में यातना या हिरासत में मौत नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है और यह मानवीय गरिमा का अपमान है।इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट 2017 से 2021 तक प्रिजन स्टैटिस्टिक्स इंडिया (पीएसआई) रिपोर्ट में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित किया गया है।रिपोर्ट में कहा गया है, समिति ने भारत की जेलों में मौतों (प्राकृतिक और अप्राकृतिक) से संबंधित पीएसआई डाटा का विश्लेषण किया और पाया कि हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या में 2019 के बाद से लगातार वृद्धि देखी गई है और 2021 में अब तक की सबसे अधिक मौतें आत्महत्या (80 प्रतिशत) की दर्ज की गई हैं, जो अप्राकृतिक मौतों का प्रमुख कारण है।
इसमें कहा गया है कि 2017 से 2021 तक पांच वर्षों में वृद्धावस्था के कारण 462 मौतें हुईं और बीमारी के कारण 7,736 कैदियों की मौत हुई।रिपोर्ट में कहा गया है, 2017-2021 के बीच भारत की जेलों में हुई कुल 817 अप्राकृतिक मौतों में से पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत भर की जेलों में 660 आत्महत्याएं और 41 हत्याएं हुईं। समिति ने कहा कि इस अवधि के दौरान 46 मौतें आकस्मिक मौतों से संबंधित थीं, जबकि सात कैदियों की मौत क्रमशः बाहरी तत्वों के हमले और जेल कर्मियों की लापरवाही या ज्यादती के कारण हुई।