‘गरवी-गुर्जरी’ में 3.11 लाख से अधिक वस्तुओं की बारकोडिंग, इस वर्ष 25 करोड़ रुपए की बिक्री का लक्ष्य
गांधीनगर। गुजरात राज्य हथकरघा तथा हस्तकला विकास निगम (GSHHDC) ने एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) सिस्टम का सफल क्रियान्वयन किया है। निगम के विक्रय केन्द्रों यानी गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम में ERP सिस्टम कार्यान्वित होने से हस्तकला-हथकरघा कारीगरों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बारकोडिंग का कार्य शुरू किया गया है। इसके साथ ही अब निगम के लिए गरवी-गुर्जरी में बिकने वाले माल-सामान की ट्रैकिंग तथा मांग वाली वस्तुओं की पहचान करने का कार्य सरल हो गया है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभी देशवासियों का स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन देने के लिए ‘वोकल फॉर लोकल का आह्वान करते रहे हैं और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में गुजरात सरकार भी स्थानीय कला-कारीगरों की कलाकृतियों की बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए प्रयासरत हैं, तब इस ERP सिस्टम के क्रियान्वयन से राज्य के कारीगरों को काफी लाभ हो रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के पांच युवाओं के साथ मुलाकात की थी, जो राज्य सरकार के उपक्रम गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम के रिब्रैंडिंग व रिपॉजिशनिंग प्रोजेक्ट में सहयोग करने वाले थे। GSHHDC के प्रबंध निदेशक (एमडी) ललित नारायण सिंह सांदु ने बताया कि निगम संचालित गरवी-गुर्जरी एम्पोरियम में श्वक्रक्क सिस्टम का क्रियान्वयन होने से उत्पादों की रिब्रैंडिंग तथा रिपॉजिशनिंग का कार्य आसान हुआ है तथा गरवी-गुर्जरी के कामकाज में उल्लेखनीय परिवर्तन आने लगे हैं। नए ERP सिस्टम द्वारा निगम की चीज-वस्तुओं की सूची के संचालन में सरलता तथा सूची के संग्रह समय का बचाव होने के कारण कामकाज में तेज़ी आई है और अकार्यक्षमता दूर हुई है। शुरुआत में निगम के 20 एम्पोरियम तथा 6 प्रशिक्षण-सह उत्पादन केन्द्र (TCPC) में मौजूदा 3,11,413 वस्तुओं को बारकोडेड किया गया।
निगम के सभी एम्पोरियम में अन्य चीज-वस्तुओं भी उपलब्ध हैं, जिनमें कुल 3,11,413 बारकोडेड तथा कुल 21,507 SKUs शामिल हैं। सामान की बारकोडिंग होने से इस बात की पूर्व जानकारी मिल जाती है कि सम्बद्ध सामान की कितनी मांग है, कितनी बिक्री है और इसके आधार पर उसके उत्पादन तथा संग्रह का निर्णय करने में सहायता मिलती है।
ERP सिस्टम द्वारा डेटा एनालिसिस किए जाने के कारण आगामी समय में जिन उत्पादों की बिक्री अधिक होने वाली हो, उसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है तथा कम बिकने वाली अनावश्यक वस्तुओं का उत्पादन व अधिक संग्रह टाला जा सकता है। इस सिस्टम के माध्यम से निगम के डिमांड आइटमों की पहचान करने में अनुकूलता हुई है। हाल में डिमांडिंग आइटम के रूप में साड़ी, दुपट्टे, बेडशीट, होम डेकोर जैसी वस्तुएं शामिल हैं। निगम ने गरवी-गुर्जरी के माध्यम से गत वर्ष 13 करोड़ रुपए की बिक्री की है, जिसे चालू वर्ष में 25 करोड़ रुपए तक ले जाने का लक्ष्य है।