- भीड़ के चलते सुबह ही खोल दिए गए द्वार, 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे
- गिरनार की परिक्रमा औपचारिक रूप से देवउठनी ग्यारस के दिन शुरू होती है
जूनागढ़ । गुजरात के जूनागढ़ जिले के गिरनार में हर साल होने वाले लीली परिक्रमा आज तड़के सुबह से शुरू हो गई। गिरनार की परिक्रमा औपचारिक रूप से देवउठनी ग्यारस के दिन शुरू होती है, लेकिन श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए एक दिन पहले ही गिरनार मंदिर के द्वार खोल दिए गए। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, आज सुबह 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने परिक्रमा मार्ग पर प्रवेश किया। वहीं, श्रद्धालुओं ने भी एक दिन पहले गेट खोलकर उनकी परेशानियों को कम करने के लिए प्रशासन को धन्यवाद दिया। प्रशासन ने तीर्थयात्रियों से जंगल में किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाने और प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग न करने की अपील की है। गिरनार का लीली परिक्रमा कार्तिक सूद अगियारस से पूनम तक चलती है। गिरनार की लीली परिक्रमा कार्तिक सूद अगियारस से पूनम तक चलती है, जिसमें एकादशी के दिन श्रद्धालु दामोदर कुंड में स्नान के बाद दामोदरजी, भवनाथ महादेव दूधेश्वर महादेव, के दर्शन के बाद गिरनार की तलहटी में ही रात बिताते हैं। ग्यारस की रात से हरी झंडी औपचारिक रूप से शुरू हो जाती है। श्रद्धालु करीब साढ़े तीन मील दूर हसनपुर या जिनबावा माधी में उत्तर की ओर पहाड़ों को पार करते हुए सफर करते हैं। इसके बाद कार्तिक सूद तेरस के दिन भक्त रात को गिरनार के उत्तरी तट पर विश्राम करते हैं, जहां सूरजकुंड का स्थान है। श्रद्धालु करीब साढ़े तीन मील दूर हसनपुर या जिनबावा माधी में उत्तर की ओर पहाड़ों को पार करते हुए सफर करते हैं।
सड़कों पर रोशनी-पानी और शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं
गिरनार की हरित परिक्रमा में पांच दिनों तक लाखों श्रद्धालु आते हैं। जिसके लिए प्रशासन, पुलिस विभाग, स्वास्थ्य और वन विभाग की ओर से सभी तैयारियां की गई हैं। परिक्रमा इंटवा गेट से शुरू होती है, पहला शिविर जिनबावनी मढ़ी, दूसरा शिविर मालवेला स्थान, तीसरा शिविर बोरदेवी स्थान और अंतिम शिविर भवनाथ तलहटी में संपन्न होता है। गिरनार पर्वत जंगली जानवरों विशेषकर शेरों का इलाका है। इसके चलते वन-विभाग की कई टीमें भी तैनात की गई हैं। परिक्रमा मार्ग पर जंगली जानवरों की आवाजाही न हो, इसके लिए भी वन-विभाग की ओर से निगरानी रखी जा रही है। डॉक्टर इंजीनियर, प्रोफेसर, शिक्षक जैसे विभिन्न पेशेवर लोग स्वयंसेवक के रूप में तीर्थयात्रियों की मदद के लिए परिक्रमा पथों पर मौजूद रहेंगे। परिक्रमा के सभी मार्गों पर रोशनी, पानी, शौचालय सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं।